1 ईसू अन चेला गलील समन्द के पेले पार गरासेनिया का देस में पूग्या।
वीं दन जद्याँ हाँज पड़ी, ईसू चेला ने क्यो, “चालो, आपाँ समन्द के, वीं पार चाला।”
पण, वीं हाराई, घणा दरपग्या हा अन वाँ एक-दूँजा ने क्यो, “अरे, यो कूण हे? जिंकी डूँज अन लेराँ भी आग्या माने हे।”