अन कुई मनक तो हव गारा का जस्यान हे जटे बीज बोयो जावे हे, वीं सन्देसा ने हुणे अन मन में उतारे, ईं वाते वीं फळ लावे, ज्यो कटे तीस गुणा, कटे हाठ गुणा अन कटे हो गुणाऊँ भी हेला फळ लावे।”
“मूँ अंगूरा की वेलड़ी हूँ, थाँ डाल्याँ हो, ज्यो मारा में बणी रेवे हे अन मूँ वाँमें वाँ हेला फळ देवे हे। काँके माराऊँ न्यारा वेन थाँ कई भी ने कर सको हो।
बिरिया का लोग थिसलुनीके का लोगाऊँ खुला मन का हा। आपणो मन लगान बचन हूणता हा अन हरेक दन पुवितर सास्तर में होदता के, जो भी पोलुस केरियो हे, वो हे के ने हे।