33 अस्यी ओरी नरी केण्याँ केन ईसू सन्देस देता हा अन जतरो वे हमज सके, वतरो बताता हा।
अन वो वाँकाऊँ केणी में घणी बाताँ किदी अन वणी वाँने क्यो, “एक करसाण बीज बोवा निकळयो।
पण, थोड़ाक दनाँ केड़े वो मोटो वेन बाग का हाराई पोदाऊँ भी मोटो वे जावे अन वींकी डाळयाँ अतरी मोटी वे जावे के, उड़बावाळा जनावर भी वींकी छाया में गवाळो बणान रे सके।”
बनाई केणी काम में लिदा तका वीं वाँने कई भी ने हुणाता हा, पण जद्याँ हाराई चेला का लारे वीं एकला वेता, तद्याँ हारी बाताँ को मतलब वाँने हमजाता हा।
“मने थाँकाऊँ दूजी ओरी नरी बाताँ केणी हे, पण अबाणू थाँ वाँने सेण ने कर सको।