26 पछे ईसू क्यो, “परमेसर को राज अस्यो हे, जस्यान कुई मनक खेत में बीज बोवे।
वणी क्यो, “थाँने हरग का राज का भेद की हमज दिदी हे पण अणा लोगाँ ने ने दिदी हे।
ईसू वाँने एक ओरी केणी हुणई, “हरग को राज वीं मनक का जस्यान हे जणी आपणाँ खेत में हव बीज वाया।
अन वो वाँकाऊँ केणी में घणी बाताँ किदी अन वणी वाँने क्यो, “एक करसाण बीज बोवा निकळयो।
ईसू वाँने एक ओरी केणी हुणई, “हरग को राज हरूँ का एक दाणा का जस्यान हे, ज्याँने कणी मनक लेन आपणाँ खेत में वायो।
ईसू वाँने एक ओरी केणी क्यो, “हरग को राज खमीर का जस्यान हे जिंने कुई लुगई थोड़ोक लेन तीन पसेरी आटा में मला देवे अन देकताई-देकता वणी हाराई आटा ने खमीर फुजई देवे हे।”
अन परच्यार करबा लागो, “पापऊँ मन फेरो, काँके हरग को राज आबावाळो हे।”
वीं टेमऊँ ईसू हव हमच्यार की सरुआत कर दिदी के, “पापऊँ मन फेरो, काँके हरग को राज आबावाळो हे।”
जिंका नके हे, वींने ओरी दिदो जाई अन जिंका नके कई ने हे, वींका नकूँ ज्यो थोड़ो घणो वेई, वो भी ले लिदो जाई।”
जद्याँ रात ने हुवे, परभाते उटे अन दने जागतो रेवे तद्याँ बीज उगन मोटो वे जावे, पण वींने नंगे भी ने पड़े के, यो कस्यान वेरियो हे?
पसे ईसू क्यो, “परमेसर को राज कणी तरिया को हे? अन मूँ वींको बखाण कस्यान करूँ?
अणी केणी को अरत यो हे, बीज तो परमेसर की वाणी हे।
“एक दाण एक करसाण हो, वो बीज बोवा ने ग्यो। तो कई व्यो बोती दाण थोड़ाक बीज गेला का कनारे पड़या, ज्यो घसरई ग्या, अन उड़बावाळा जीव-जनावर वाँने चुगग्या।
मूँ थाँकाऊँ हाँची केवूँ हूँ के, जद्याँ तईं गऊँ को दाणो जमीं में ने पड़ जावे, वो एकलो रेवे हे, पण जद्याँ मर जावे हे, तो हेला दाणा लावे हे।
अन जो मेल-मिलाप करावे हे, वीं सान्ती का बीज बोवे हे अन धारमिकता को फळ पावे हे।