21 पछे ईसू वाँने क्यो, “दिवाण्या ने लगान ठामड़ा कन माचा का रेटे ने मेले पण वींने आल्याँ में मले।
मनक दिवो लगान कणी ठामड़ा का रेटे ने मेले हे, पण वींने आल्याँ में मेले, ताँके घर का हाराई मनकाँने उजितो मल सके।
“दिवो लगान कूण वींने हपी तकी जगाँ में कन पसे कणी ठामड़ा का रेटे ने मेले हे, पण वो वींने आल्याँ में मेले हे, ताँके मयने आबावाळा ने उजितो मले।
“कुई भी मनक दिवाण्या ने ठामड़ा का रेटे ने मेले हे, अन नेई माचा का रेटे राके हे, पण वींने आल्याँ में मेले हे ताँके में आबावाळा ने उजितो मले।
हरेक विस्वासी मनकाँ में परमेसर की आत्मा कस्या न कस्यान परगट वेवे हे ज्यो हरेक की भलई का वाते वेवे हे।