गेला का कनारे पड़्या तका बीज वणा मनकाँ का जस्या हे जीं ओ तो हुणे हे के, परमेसर कस्यान लोगाँ का मन पे राज करे हे पण वीं वींने हमजे कोयने। अन पछे सेतान आवे अन ज्यो बाताँ वणा हूणी ही वणा हारी बाताँ ने भुलई देवे हे।
ज्यो बीज गेला का कनारा पे पड़्या, ईं वीं मनक हे के, जद्याँ वणा बचन हुण्या, तद्याँ सेतान आन वणा का मन मेंऊँ वणा बचनाँ ने निकाळ लेवे हे, ताँके वी विस्वास ने कर सके अन बंचाया ने जावे।
ईं बात पे पतरस क्यो, “ए हनन्या, सेतान थाँरा मन में आ बात कस्यान ले आयो के, थूँ पुवितर आत्माऊँ जूट बोले अन जगाँ-जमीं का आया रिप्या-कोड़ीऊँ थोड़ाक बंचान आपणाँ नके राक ले।
ईं पाप का मनक को आणो सेतान की सगतिऊँ वेई अन ईंका में हारी जूटी तागत, जूटा हेन्याण, अचम्बा का काम अन पापऊँ भरिया छळ-कपट वेई। अन ओ अणा सगत्याँ ने वाँ मनकाँ वाते काम में लेई जीं नास वेबावाळा हे, काँके वणा हाँच का परेम ने गरण ने किदो जणीऊँ वाँकी मुगती वे जाती।
देको कुई भी कुकरम ने करे अन वीं एसाव के जस्यान परमेसरऊँ छेटी ने जावे ज्यो पाटवी बेटो हो अन उतरादिकार पाबा को अदिकार हो, पण वणी बेस एक दाण का खाणा का वाते वो पद बेंच दिदो।
अन वीं सेतान ने ज्यो वाँने भरमातो हो, वीं वादी का कुण्ड में जिंका में वीं डरावणा जनावराने अन वींका जूटी आगेवाणी करवावाळा नाक्या ग्या हा, वींने भी नाक दिदो जाई, जिंमें वीं हमेस्यान दन रात तड़पता रेई।