14 करसाण ज्यो बोवे, वो बीज परमेसर को सन्देसो हे।
गेला का कनारे पड़्या तका बीज वणा मनकाँ का जस्या हे जीं ओ तो हुणे हे के, परमेसर कस्यान लोगाँ का मन पे राज करे हे पण वीं वींने हमजे कोयने। अन पछे सेतान आवे अन ज्यो बाताँ वणा हूणी ही वणा हारी बाताँ ने भुलई देवे हे।
अन वो वाँकाऊँ केणी में घणी बाताँ किदी अन वणी वाँने क्यो, “एक करसाण बीज बोवा निकळयो।
ईसू वाँने बतायो, “हव बीज बोवावाळो मनक को पूत हे।
पछे वटे अतरा मनक भेळा वेग्या हाँ के, घर का बारणा में पग मेलबा जतरीक जगाँ भी ने री। ईसू वाँने परमेसर को हमच्यार हुणारिया हा।
ईसू वाँने क्यो, “जद्याँ थाँ ईं केणीने ने हमजो, तो कस्यी भी केणी ने कस्यान हमज पावो?
कुई मनक गेला का कनारा का जस्यान हे, जटे बीज बोया जावे हे। जद्याँ वीं सन्देसा ने हुणे, तद्याँ फटाकऊँ सेतान आन सन्देसा ने लेन परो जावे।
“हुणो, एक दाण एक करसाण बीज बोवा निकळ्यो।
अणी केणी को अरत यो हे, बीज तो परमेसर की वाणी हे।
वकरिया तका विस्वासी लोग-बाग हर जगाँ जा-जान हव हमच्यारा को सन्देसो हुणाबा लागा।