9 अन भीड़ की वजेऊँ वणा आपणाँ चेला ने क्यो हो के, वीं वींके वाते एक नाव त्यार राके, ताँके भीड़ वींने दबा ने सके।
तद्याँ वो लोगाँ की टोळी ने हिक देन नाव में चड़ग्या अन मगदन देस की हीमा में आयो।
ईसू गलील का समन्द के कनारा पे उपदेस देणो सरू किदो अन वटे वींका च्यारूँमेर घणी भीड़ अगेटी वेगी ही, ईं वाते वो समन्द के कनारे एक नाव में जा बेट्यो अन लोगाँ की भीड़ समन्द का कनारे जमीं पे ऊबी री।
ईं वाते, वणा भीड़-भाड़ ने छोड़ दिदी। वींका चेला भी वणी नाव में ग्या, जिंमें ईसू पेल्याई बेट्या हा अन वाँने लेन पराग्या अन वाँकी लारे ओरी नावाँ ही।
जद्याँ ईसू नावऊँ बारणे आया, तो तरत एक मनक कबराऊँ निकळन वाँका नके आयो, जिंमें हुगली आत्मा ही।
अन तरत ईसू ने ज्यान पड़ग्यो के, वींकी तागत वींऊँ बारणे निकळी हे। वो भीड़ में पाछो फरियो अन पूँछयो, “मारा गाबा के कूण अड़्यो हे?”
ईं वाते वे नाव में बेटन एक हून्नी जगाँ पे पराग्या।
एक दाण ईसू गन्नेसरत का समन्द का कनारे ऊबा तका हा अन लोगाँ की भीड़ परमेसर का बचन हुणाबा का वाते वाँके च्यारूँमेर ऊबी तकी ही।
अन ईसू वणा नावाँ मूँ समोन की नाव में चड़न वणीऊँ क्यो, “नाव ने कनाराऊँ थोड़ीक ऊण्डा पाणी में ले चालो।” तद्याँ वी नाव में बेटन लोगाँ ने उपदेस देबा लागा।
ईसू यो जाणन के, “वी लोग मने जबरदस्ती पकड़न राजा बणबा के वाते आरिया हे।” तो वीं एकलाई मंगरा पे परोग्या।