4 अन वणा लोगाँ ने पूँछयो, “कई हव हे के, आराम का दन किंकोई भलो करणो कन बुरो करणो? किंकोई जीव बंचाणो हव हे कन मारणो?” पण, वीं हंगळा छानारिया।
ईसू लकवा का माँदा मनक ने क्यो, “हाराई का हामे ऊबो वेजा।”
ईसू गुस्सा में हा जद्याँ वणा च्यारूँमेर वाँने देक्या, पण वीं वाँकी बुरई अन हठ ने देकन घणा दकी व्या। पछे वीं मनकऊँ क्यो, “थारो हात लाम्बो कर।” वणी हात लाम्बो किदो अन वींको हात हव वेग्यो।
पण, वी छाना-माना रिया, काँके वे गेला में बात-बच्यार कररिया हा के, माँकाऊँ मोटो कूण हे?
पछे ईसू वणाऊँ क्यो, मूँ थाँकाऊँ पूँछू हूँ के, “आपणाँ नेमा का जस्यान आराम का दन कई करणो सई हे? किंकोई भलो करणो कन बुरो करणो, किंको जीवन बचाणो कन नास करणो?”