वी हाराई वींने पकड़बा की ताक में रेवा लाग्या के, वो कई गलती करे, ईं वाते वणा वींका वाते भेदू खन्दाया। वणा खरा वेबा का नाटक रच्यो, ताँके वींने बाताँ में फसान राजपाल अन अदिकारियाँ का हाताँ में हूँप दे।
अणी पे कुई फरीसी केबा लागा, “जणी मनक यो किदो हे वो मनक परमेसर का आड़ीऊँ ने हे, काँके वो आराम का दन का नेमाने ने माने हे।” दूजाँ क्यो, “पापी मनक कस्यान अस्या परच्या बता सके हे?” अणी बात पे वाँका में आपस में फुट पड़गी।