13 पछे ईसू एक मंगरा पे चड़ग्या अन वीं जिंने छाता हा, वाँने आपणाँ नके बलाया। वीं हंगळा वाँका नके आया।
जद्याँ ईसू मनकाँ की मोटी टोळी देकी, तो वो मंगरा पे पराग्यो अन वटे जान बेटग्यो अन वींका चेला वींका नके आग्या।
वणा मूँ वणा बारा जणा ने थरप्या अन वाँने “थरप्या तका” केन बलाया, काँके वीं वींका लारे रेवे अन वो वाँने हक का हाते खन्दावे, ताँके वीं परच्यार करे,
वणा आपणाँ बाराई चेला ने बलाया अन दो-दो जणा ने बारवास में खन्दाया। वणी वाँने हुगली आत्माने निकालबा को हक दिदो।
पसे ईसू आपणाँ बाराई थरप्या तका चेला ने एक हाते बलान वाँने हारी हुगली आत्मा अन मांदकी ने छेटी करबा की तागत अन अदिकार दिदो।
तद्याँ ईसू मंगरा पे चढन आपणाँ चेला के हाते बेटग्या।