11 जद्याँ कणी मनक में हुगली आत्मा ही, वीं ईसू ने देकती, तो वे हंगळी आत्मा वाँका हामे रेटे पड़ जाती अन ज्योर की हाका-भार करती तकी केती, “थूँ परमेसर को पूत हे।”
पछे सेतान वणीऊँ क्यो, “यद्याँ थूँ परमेसर को पूत हे तो अटेऊँ रेटे कुद जा, काँके सास्तर में ओ लिक्यो हे, “‘वीं थारी हार-हमाळ का वाते हरग-दुताँ ने खन्दाई अन वीं थने हातु-हात तोक लेई ताँके थाँरा पगाँ के भाटा की ने लाग जावे।’”