पण थाँकामें नरई अस्या हे जीं विस्वास ने करे।” काँके ईसू पेल्याऊँ ओ जाणतो हो के, वीं कुई हे, ज्यो विस्वास ने करी। अन वो कुई हे ज्यो वींने धोकाऊँ पकड़वाई।
ईं बात पे पतरस क्यो, “ए हनन्या, सेतान थाँरा मन में आ बात कस्यान ले आयो के, थूँ पुवितर आत्माऊँ जूट बोले अन जगाँ-जमीं का आया रिप्या-कोड़ीऊँ थोड़ाक बंचान आपणाँ नके राक ले।