ईं बात पे मायाजक आपणाँ गाबा फाड़न अन क्यो, “अणी परमेसर की नन्दयाँ किदी हे, अबे मारे गुवा की कई जरूत ने हे? देको, थाँ अबाणू ईंने परमेसर की नन्दया हामळी हे।
वणा वाँने क्यो, “हव कामाँ का वाते माँ थाँरे भाटा ने ठोका, पण परमेसर की नन्दयाँ करबा का वाते ठोका हा। अन ईं बात का वाते के, थूँ मनक वेन आपणाँ खुद ने परमेसर को दरज्यो देवे हे।”
तो जद्याँ में क्यो के, मूँ परमेसर को बेटो हूँ। तो थाँ क्यो, ‘मूँ परमेसर की नन्दयाँ करूँ हूँ।’ पण मूँ तो वोईस हूँ, जिंने परमेसर चुणन ईं दनियाँ में खन्दायो हे।