6 वीं दाण कुई मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा वटे बेटा हा। वे आपणाँ मनईंमन में होचबा लागा के,
वाँका ईं विस्वास ने देकन ईसू लकवा का माँदा मनक ने क्यो, “ए मारा बेटा, थाँरा पाप माप वेग्या।”
“यो मनक अस्यी बाताँ काँ करे हे? यो तो परमेसर की नन्दयाँ करे हे। परमेसर ने छोड़न दूजो कूण पापाँ ने माप कर सके?”
ईसू जाणतो हो के, वी कई केरिया हे? ईं वाते यो पूँछ्यो, “रोटी ने हे, ओ थें काँ होच-बच्यार कररिया हो? कई, थें अबाणू भी ने हमज्यो कई, थाँकामें अकल कोयने?
अन माँ वणा ओजाराँऊँ लोगाँ का गुमानऊँ भरिया तका सवाला अन बाताँ ने ज्यो परमेसर का ग्यान का विरोद में वेवे हे, वाँने बंस में करन मसी की आग्या में लावाँ हाँ।