27 ईसू वाँने यो भी क्यो, “आराम को दन मनकाँ का वाते बणायो ग्यो हे, ने के, मनक आराम का दन का वाते।
ईं वाते मनक को पूत(ईसू) आराम का दन को भी परबू हे।”
पछे ईसू वणाऊँ क्यो, मूँ थाँकाऊँ पूँछू हूँ के, “आपणाँ नेमा का जस्यान आराम का दन कई करणो सई हे? किंकोई भलो करणो कन बुरो करणो, किंको जीवन बचाणो कन नास करणो?”
सबद का दन कणी मनक को खतनो करबाऊँ मूसा को नेम ने टुटे हे, तो थाँ मारा पे गुस्सा काँ करो हो के, में एक मनक ने सबद के दन पुरी तरियाऊँ हव कर दिदो हे?
ईं हारी चिजाँ थाँका वातेईस किदी जारी हे, जणीऊँ नरई मनकाँ पे परमेसर की दया वे अन वीं अणीऊँ परमेसर ने धन्नेवाद दे सकी अन परमेसर ने खुब मेमा मली।
ईं वाते खाबा-पिबा अन तेवार अन नवो चाँद अन सबद का दनाँ में कुई थाँको फेसलो ने करे।