ईसू वींने क्यो, “कई थाँ पवितर सास्तर में ओ ने भण्यो के, “‘जणी भाटा ने राज कारीगर बेकार जाण्यो हो, वोईस खुणा को खास भाटो बणग्यो। ओ परबू का आड़ीऊँ व्यो, अन मारी नजर में मोटी बात वीं?’”
मरिया तका जीवता वेन उठबा का बारा में थाँकाणी मूसा की किताब में जटे हळगता तका झाड़क्याँ का बारा में लिक्यो हे, कई थाँ वो ने भण्यो? वटे परमेसर मूसा ने क्यो हो, ‘मूँ अबराम को परमेसर हूँ, इसाक को परमेसर हूँ अन याकूब को परमेसर हूँ।’
जद्याँ अबियातार मोटो याजक हो, तद्याँ वो परमेसर का मन्दर में ग्यो अन परमेसर के चड़ई तकी रोट्याँ खादी अन वींकी लारे का मनकाँ ने भी दिदी, ज्यो खाणो रिति-रिवाजऊँ मोटा याजक ने छोड़न दूजाँ ने खा सकता हा।”