ईसू वाँकाऊँ क्यो, “ब्याव के टेम में जद्याँ तईं बींद आपणाँ जान्या का हाते हे तो कई वींका जान्या रोवणो-धोवणो करी? पण वीं दन जद्याँ बींदराजा ने वाँकाऊँ छेटी किदो जई, वीं टेम वीं एकाणो राकी।
“कुई भी मनक जूना गाबा के, नुवा गाबा की कारी ने लगावे अन जदी लगा भी दे, तो नुवा गाबा की कारी भेळी वेन जूना गाबा ने फाड़ दे अन वो फाट्यो गाबो ओरी हेलो फाट जाई।
मूँ अबे दनियाँ में ने रेऊँ, पण ईं हाराई दनियाँ में रेई, अन मूँ थाँका नके आवूँ हूँ। हो पवितर बापू आपणाँ वीं नाम की तागतऊँ ज्यो थाँ मने दिदो हे, वाँकी रुकाळी करो, ताँके वीं हाराई आपणे जस्यान एक वे सके।
मसी ने वीं दाण तईं हरग में रेणो पेड़ी, जतरे वीं हारी बाताँ परमेसर पेल्याँ के जस्यान कोयने कर दे, जिंका बारा में नरई पेल्याँ परमेसर आपणाँ आड़ीऊँ बोलबावाळा पुवितर मनकाँ का मुण्डाऊँ बतायो हो।
थाँ एक-दूँजा की देह की मनसा ने पुरी करबा में छेटी मती रेज्यो, पण थोड़ीक टेम तईं परातना का वाते आपस का राजीपाऊँ छेटी रो अन पाच्छा एक हाते वे जावो। कटे अस्यान ने वे के, थाँका खुद ने बंस में राकबा की कमजोरीऊँ सेतान थाँकी परक करे।
काँके जस्यान परबू थाँकी चन्ता करे हे वस्यान मूँ भी थाँकी चन्ता करूँ हूँ। मूँ थाँकी बात एकीस मसी का हाते लगा मेली हे जणीऊँ मूँ थाँने पुवितर कूँवारी छोरी का जस्यान मसी ने हूँप दूँ।
में घणी मेनत किदी हे अन दुक का हाते जीवन जिदो हे। नरी दाण तो मूँ हूँ भी ने सक्यो। अन नरी दाण तो भुको-तरियो भी रियो हूँ, नरी दाण तो ठन्ड में बना गाबा के धूजतो रियो हूँ।
पछे वणा हाताँ दुताँ का नके आकरी हात विपत्याऊँ भरिया तका हात प्याला हा, वणा मेंऊँ एक मारा नके आयो अन माराऊँ बात करन क्यो, “अटे आ, मूँ थने वणी लाड़ी ने बताऊँ, ज्याँ उन्याँ की लुगई हे।”