पछे जदी वींका ग्यारई चेला रोट्याँ खारिया हा, ईसू वाँका मुण्डागे परगट व्या अन वे वाँने वाँका बना विस्वास, कल्डा मन के वाते फटकारिया, काँके वणा वाँका हमच्यार को विस्वास ने किदो हो, जणा ईसू ने जीवता व्या केड़े देक्या हा।
पण अबराम वींने क्यो, “यद्याँ वी मूसा अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा की किताबाँ की बात ने माने हे, तो वी यद्याँ कुई मरिया तका मेंऊँ भी वाँका नके जाई तद्याँ भी वी वींकी ने मानी।”
पण वीं हाराई आणन्द अन अचम्बा का मस अबाणू तईं ने हमज सक्या हा के, आपाँ हाँची में ईंने देकरिया हा। तो ईसू वाँने पूँछ्यो, “कई, थाँका नके खाबा का वाते कई हे?”
जदी दूजाँ चेला वाँकाऊँ केबा लागा, “माँ परबू ने देक्याँ हे।” तद्याँ वणी वींकाऊँ क्यो, “जद्याँ तईं मूँ वाँका हाताँ में खीलाँ का निस्याण में आँगळी ने गोड़ूँ अन वाँकी पाँळी में आपणो हात ने गालूँ तद्याँ तईं मूँ विस्वास ने करूँ।”