पण वीं हाराई आणन्द अन अचम्बा का मस अबाणू तईं ने हमज सक्या हा के, आपाँ हाँची में ईंने देकरिया हा। तो ईसू वाँने पूँछ्यो, “कई, थाँका नके खाबा का वाते कई हे?”
जदी दूजाँ चेला वाँकाऊँ केबा लागा, “माँ परबू ने देक्याँ हे।” तद्याँ वणी वींकाऊँ क्यो, “जद्याँ तईं मूँ वाँका हाताँ में खीलाँ का निस्याण में आँगळी ने गोड़ूँ अन वाँकी पाँळी में आपणो हात ने गालूँ तद्याँ तईं मूँ विस्वास ने करूँ।”