“वीं टेम मनक का पूत का आबा को हेन्याण आकास में परगट वेई। तद्याँ धरती पे हारी जाता का मनक हाका-भार करी अन मनक का पूत ने तागत अन मेमा का हाते हरग का वादळा पे परगट वेता देको।
ईसू वाँकाऊँ क्यो, “ब्याव के टेम में जद्याँ तईं बींद आपणाँ जान्या का हाते हे तो कई वींका जान्या रोवणो-धोवणो करी? पण वीं दन जद्याँ बींदराजा ने वाँकाऊँ छेटी किदो जई, वीं टेम वीं एकाणो राकी।
जट दूजी दाण कूकड़ो बोल्यो अन पतरस ने वीं टेम पे ईसू का सबद आद आग्या, ज्यो वाँकाणी क्या हा, “कूकड़ा के दो दाण बोलबाऊँ पेल्याँ थूँ मने तीन दाण ओळकबाऊँ नट जाई।” तो पतरस मन में ओ होचन कल्ड़ो-कल्ड़ो रोबा लागो।