जदी एक मनक दोड़न खाटा अंगूरा का रस में डूब्यो तको रुँई को फुम्बो एक कामड़ी में टाँकन लायो अन ईसू ने सूँकवा का वाते दिदो अन क्यो, “रुको, देकाँ ईंने रेटे उतारबा ने एलियो आवे कन ने आवे।”
ईसू अणी धरती का जीवन में ज्यो वींने बंचा सकतो हो, वणीऊँ जोरऊँ हाको करतो तको अन रोते तके अरज अन परातना किदी ही अन नमरता अन भगती का मस वींकी हुण लिदी गी ही।