29 वींका भड़े निकळता तका लोग-बाग आपणो मातो ठणकान, वींकी नन्दयाँ करन केरिया हा, “हा, हा! थूँईस हे, ज्यो तीन दनाँ में मन्दर ने हल्डान पाछो बणाबावाळो।
अन क्यो, “अणी मनक क्यो हे के, ‘मूँ परमेसर का मन्दर ने हण्ड़ा सकूँ हूँ अन वींने तीन दन में पाछो बणा सकूँ हूँ।’”
“माँकाणी ईंने ओ केतो हुण्यो के, ‘मनक का हाताऊँ बण्या मन्दर ने मूँ हल्डा देऊँ अन पछे तीन दन में दूज्यो मन्दर बणा देऊँ, ज्यो मनकाऊँ बण्यो तको ने वेई।’”
अणीऊँ परमेसर को ओ बचन पूरो व्यो के, वो अपरादिया की लारे गण्यो जाई।
अबे हूळीऊँ रेटे उतर आ अन खुद ने तो बंचा ले।”