काँके मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, यो ज्यो सास्तर में लिक्यो हे के, ‘वो अपरादिया का हाते गण्यो ग्यो।’ या बात मारा में पुरी वेणी घणी जरूरी हे, काँके अबे ईं बात के वेबा की टेम आगी हे।”
विस्वास का मालिक अन वींने सिद करबावाळा ईसू मसी का आड़ी आपाँ देकता रा। जणी आपणाँ हामें राक्या तका आणन्द का वाते लाज-सरम की चन्ता ने किदी अन हूळी पे दुक जेल्यो अन परमेसर की गादी के जीमणे पाल्डे जान बेटग्यो।