70 पतरस पाछो नटग्यो। पछे थोड़ीक देर केड़े उटे ऊबा मनक पतरस ने क्यो, “हाँची में थूँईस हे, वाँ मनकाँ मूँ एक, काँके थूँ गलील को हे।”
पण, पतरस नटग्यो अन केबा लागो, “मूँ ने जाणूँ हूँ अन थूँ कई केरी हे मारी हमज में ने अईरो हे।” ओ केता तका वो डेळी तक परोग्यो अन पछे कूकड़ो बोल्यो।
वाँ दासी जदी वींने दूजी दाण देक्यो, तो वा उटे ऊबा तका मनकाँऊँ पाच्छी केबा लागी, “ओ मनक वाँ मनकाँ मूँ एक हे।”
जदी पतरस बोल्यो, “मूँ होगन खान हाँची केरियो। यद्याँ मूँ हाँची ने केरियो हूँ, तो परमेसर मने दण्ड दे। जिंके बारा में थाँकाणी बात कररिया हो, वीं मनक ने मूँ ने जाणूँ।”
तो वीं ओरी अचम्बा में पड़न बोल्या के, “ये हंगळा बोलबावाळा गलील हिमाड़ा का कोयने कई?