67 जदी वे पतरस ने वटे तापतो तको देक्यो, तो ध्यानऊँ वींने ओळकन बोली, “थूँ तो नासरत का ईसू का लारे रेतो हो?”
अन नासरत नाम का नगर में घर बणान रेवा लागग्यो, अस्यान वो बचन पूरो व्यो, ज्यो नरई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा क्यो हो, “वो नासरी नामऊँ जाण्यो जई।”
लोग-बागाँ क्यो, “ओ गलील का नासरत नगर को परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो ईसू हे।”
“हे, नासरत का ईसू, थूँ मारा नकूँ कई छावे हे? कई, थूँ मारो नास करबा ने आयो हे? मूँ थाँने जाणूँ हूँ के, थूँ कूण हे, थूँ परमेसर को पुवितर मनक हे।”
जदी वणी हुण्यो ओ नासरत को ईसू हे, तो वणी कल्ड़ी हाका-भार किदी, “हे दाऊद का पूत, मारा पे दया कर।”
पतरस वाँऊँ छेटी रेतो तको वाँका पाच्छे मायाजक की गवाड़ी का मयने पराग्यो अन वटे पेरादारा का हाते बेटन तापबा लागो।
दास अन चोकीदार ठन्डऊँ बंचबा के वाते धूणी लगान तापरिया हा अन पतरस भी वाँका हाते ऊबो वेन तापरियो हो।
पिलातुस एक दोसपतर लिकन हूळी पे टाँक दिदो अन वींमें ओ लिक्यो हो, “नासरत का ईसू, यहूदियाँ को राजा।”
ईसू नासरी का बारा में थाँ तो जाणो हो, परमेसर पुवितर आत्मा अन सगतिऊँ वींको तलक कस्यान किदो हो। वणी हव काम किदा अन सेतानऊँ दकी हारई जणा ने हव करतो तको च्यारूँमेर कस्यान गुमतो हो, काँके परमेसर वाँकी लारे हो।