46 पछे वाँकाणी ईसू ने पकड़न बन्दी बणा दिदा।
जस्यानी यहूदो वटे आयो, वो ईसू का नके जान क्यो, “गरुजी” अन वाँके गळे मल्यो।
तो ईसू को एक चेलो, ज्यो वाँका नके ऊबो हो, आपणी तरवार निकाळन मायाजक का एक नोकर पे चला दिदी, जींऊँ वींको कान्दड़ो कटग्यो।
तद्याँ रोमी सपायाँ अन वाँका सूबेदार अन यहूदियाँ का मन्दर का चोकीदार ईसू ने पकड़ लिदा अन बाँदन,
ईसू ने परमेसर आपणी पाक्की ओजणा अन पेली का ग्यानऊँ होच-हमजन थाँने हूँप्यो अन थाँकाणी वींने नीच मनकाँ का हाताँ में पकड़वान हूळी पे खीलाँ ठुकवान मरवा नाक्यो।