4 ईं बात पे उटे बेटा तका थोड़ाक मनक एक-दूँजा ने केबा लागा, “अंतर को अस्यान काँ नकसाण किदो?
ओ हुणन ईसू का दस चेला वीं दुई भायाँ पे गुस्सा में वेग्या।
जदी बेतनियाँ में ईसू समोन ज्यो पेल्याँ कोड़ी हो, वींके घर में जीमणो जिमरिया हाँ, वीं टेम एक लुगई धोळा भाटा का ठामड़ा में हव वाना को खरो अन मेंगा मोल को अंतर लेन अई। वणी ठामड़ा ने फोड़्यो अन अंतर ईसू का माता पे ऊँदा दिदो।
ओ अंतर तीन सो चान्दी का रिप्याऊँ भी हेला रिप्या में बेंच देती अन पछे वीं धन ने गरीबा में बाँट देती।” वाँ हारई वींकी घणी खोट्याँ खादी।