31 ईं बात पे पतरस ओरी कल्ड़ो बोल्यो, “यद्याँ मने थाँरा हाते मरणो भी पड़े, तो भी मूँ थने ने नटूँ।” अन दूजाँ हाराई चेला भी अस्यानीस क्यो।
ज्यो कुई मने हाराई मनकाँ का हामे ने मानी, मूँ भी वाँने हरग में बिराज्या तका मारा परम बापू परमेसर का हामे ने मानूँ।
वाँकाणी वाँने क्यो, “में वस्यान कर सका हाँ।” पछे ईसू वाँने क्यो, “थाँ वो प्यालो पिवो, ज्यो मूँ पीवूँ। थाँ वो बतिस्मो लेवो, ज्यो मूँ लेबा ने हूँ।
ईं बात पे ईसू वींने क्यो, “मूँ थने हाँची केऊँ, आज राते कूकड़ा के दो दाण बोलबाऊँ पेल्याँ थूँ मने तीन दाण ओळकबाऊँ नट जाई।”
पछे वे एक असी जगाँ पे आया, जिंने गतसमने को बाग केता हा। वटे ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो, “जतरे मूँ परातना करूँ, थें अटेईस बेटो।”
पण वी हाराई मनक एक दाण पाछो हाको करन बोल्या, “ईंने हूळी पे चढा दो।” अन वाँके हाका-भार करबा वाँकी बात बणगी।
पतरस वाँने क्यो, “हो परबू, अबाणू मूँ थाँके पाच्छे काँ ने आ सकूँ हूँ? मूँ तो थाँका वाते मारो जीव देबा ने त्यार हूँ।”