30 ईं बात पे ईसू वींने क्यो, “मूँ थने हाँची केऊँ, आज राते कूकड़ा के दो दाण बोलबाऊँ पेल्याँ थूँ मने तीन दाण ओळकबाऊँ नट जाई।”
ईसू वींने क्यो, “मूँ थाँराऊँ हाँची केवूँ के, आज राते कूकड़ा के बोलबाऊँ पेल्या, थूँ तीन दाण मने ओळकबाऊँ नट जाई।”
ईं वाते थें भी जागता रो, काँके थाँ ने जाणो हो के मालिक कदी आ जावे। हाँज पड़्या आई कन आदी रात को। कूकड़ो बोलबा की टेम कन दन उगाँ।
जदी पतरस बोल्यो, “ईं हारई थने छोड़ देई। पण, मूँ थने कदी ने छोड़ूँ।”
ईं बात पे पतरस ओरी कल्ड़ो बोल्यो, “यद्याँ मने थाँरा हाते मरणो भी पड़े, तो भी मूँ थने ने नटूँ।” अन दूजाँ हाराई चेला भी अस्यानीस क्यो।
ईसू वींने क्यो, “ए पतरस, मूँ थने बतावूँ हूँ के, आज कूकड़ो जद्याँ तईं ने बोली। वणीऊँ पेल्याँ थूँ तीन दाण मने ओळकबाऊँ नट जाई के, ‘मूँ ईंने ने जाणूँ हूँ।’ ”
ईसू वींने क्यो, “कई थूँ हाँची में मारा वाते आपणो जीव देई? मूँ थाँराऊँ सई-सई केवूँ हूँ के, कूकड़ो जद्याँ तईं ने बोली वतरे थूँ तीन दाण मने ओळकबाऊँ नट जाई।”
वटे एक दासी ज्या चोकीदारणी ही। वणी पतरसऊँ क्यो, “कई थूँ भी तो ईं मनक का चेला मयनूँ एक ने हे?” वणी क्यो, “ने, ने मूँ कोयने हूँ।”
ईं वाते ज्यो ओ होचे के, वो विस्वास में सई ऊबो तको हे, तो वींने ध्यान राकणो छावे के, वो रेटे ने पड़ जावे।