जदी मुक्य याजकाँ अन मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा ओ हुण्यो, तो वींने मारबा को गेलो होदबा लागा। पण वे वाँकाऊँ दरपता हा, काँके हारई मनक वाँका उपदेसाऊँ अचम्बा में पड़ जाता हा।
फसे को अन बना हाज्या की रोट्याँ का तेवार के दो दन पेल्याँ की बात हे, मुक्य याजकाँ अन मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा एक असी जाळ वसारिया हा। जींऊँ वे ईसू ने ईं जाळ में नाकन बंदी बणान मार सके।
जदी बेतनियाँ में ईसू समोन ज्यो पेल्याँ कोड़ी हो, वींके घर में जीमणो जिमरिया हाँ, वीं टेम एक लुगई धोळा भाटा का ठामड़ा में हव वाना को खरो अन मेंगा मोल को अंतर लेन अई। वणी ठामड़ा ने फोड़्यो अन अंतर ईसू का माता पे ऊँदा दिदो।
अन यद्याँ आपाँ केवाँ के, ‘मनकाँ का आड़ीऊँ हे।’ तो हाराई लोग-बाग आपणे भाटा मारी। काँके वीं हाँची में जाणे हे के, यहुन्नो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो।”