मूँ थाँकाऊँ हाँची केवूँ हूँ के, आकास अन धरती टळ सके हे, पण मूसा का नेमा में लिक्या तका हरेक अकर अन सबद तद्याँ तईं बण्या तका रेई जद्याँ वीं पूरा ने वे जावे।”
“जद्याँ थाँ परातना करो, तो कपटी मनकाँ का जस्या परातना मती करज्यो, काँके वीं मनकाँ ने दिकावा का वाते परातना घर में अन गेला का ऊपरे ऊबा वेन परातना करणो वाँने हव लागे हे। मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, वणा आपणो फल पा लिदो हे।
मूँ थाँने हाँची बात केऊँ, ईं हारी दनियाँ में जटे भी हव हमच्यार को परच्यार किदो जाई, वटे अणी लुगई ज्यो काम किदो हे, वीं बारा में बात-बच्यार करता तका आद कररिया करी।”
जद्याँ कसी जगाँ का मनक थाँने ने माने अन थाँकी बात ने हुणे, तो थाँ वा जगाँ छोड़ दिज्यो अन आपणाँ पगाँ को धूळो वटेई जाटक दिज्यो, तद्याँ या बात वाँका वाते चेतावणी रेई के, वाँका नास को कारण वीं खुदईस हे।”
अन पछे ईसू वाँने क्यो, “मूँ थाँने हाँची बात केऊँ, वटे ज्यो ऊबा हे, वींमें कुई अस्या हे, ज्यो परमेसर का राज ने सगतिऊँ आता तका देक ने लेई, वतरे आपणी मोतने ने देकी।”
“मूँ थाँका हाराई का वाते ने केवूँ हूँ, जाँने में चुण लिदा वाँने मूँ जाणूँ हूँ, पण यो ईं वाते हे के, पुवितर सास्तर को यो लेक पूरो वे, ‘ज्यो मारा रोटा खावे हे, वीं मारा पे लात उठई।’
मूँ थाँराऊँ सई-सई केवूँ हूँ, जद्याँ थूँ मोट्यार हो। तो जटे जाणो छातो हो, वटे जातो। पण, जदी थूँ डोकरो वेई। तो आपणाँ हात ऊँचा केरी अन दूज्यो थने बाँदन जटे थूँ ने जई वटे ले जई।”