“हूँस्यार रेज्यो! काँके मूँ चोर की जस्यान अणाचेत को आऊँ हूँ। धन्न हे वीं ज्यो जागता रेवे हे, अन आपणाँ गाबा हमाळी राके हे, जणीऊँ वीं उगाड़ा ने रेई अन मनक वाँने नांगा ने देकी।”
ईं वाते हेंचेत वो अन अणीऊँ पेल्याँ के, थाँ पुरी तरियाँ मर जावो वणा बाताँ ने जो बची तकी हे वाँने पाकी करो, काँके में मारा परमेसर की देकणी में, थाँरा कस्याई काम ने सई कोयने देक्या हे।