29 अस्यानीस थें वे हारी बाताँ वेती देको, तो जाण जाज्यो के, अबे वाँ टेम भडे़ आगी हे, वो बगत चालूँ वेबा मेंईस हे।
“अंजीर का रूँकड़ा की ईं केणीऊँ हिक लेवो। जदी वाँकी डाळयाँ कँवळी वे जावे, अन वींपे कूँपळा फूटबा लागे, तो थें जाण जावो के, उनाळो आबा में हे।
मूँ थाँने हाँची केरियो हूँ के, ईं पिड़ीयाँ का मनकाँ के मरबा के पेल्याँई हारी बाताँ वे जाई।
हो भायाँ, एक दूजाँ पे मती बड़बड़ावो, ताँके थाँ दोसी ने ठेरो। देको, न्याव करबावाळो बारणा आगेईस ऊबो तको हे।