25 आकासऊँ तारा नीचे पड़बा लाग जाई अन आकास की हारी सगत्याँ हाल जाई।
“वाँ दनाँ दक-पीड़ा की बगत के पछे सुरज काळो पड़ जाई अन चाँदऊँ वींकी चाँदणी जाती रेई। आकासऊँ तारा नीचे पड़बा लाग जाई अन आकास की हारी सगत्याँ हाल जाई।
आकासऊँ धरती पे तारा अस्यान पड़रिया जस्यान जोरकी डूँज का जाटकाऊँ कणी रूँकड़ा का काचा फळ जड़ जावे हे।