परमेसर को दन चोर का जस्यान अणाचेत को आई। परबू के पाच्छा आबा का दन आकास जोरऊँ गाजी अन नास वे जाई अन आकास पिंड जो आकास में हे वाँ हेली उनी वेन पिगळ जाई अन ईं धरती पे जो कई भी हे, वो भी बळ जाई।
अन वीं दन की वाट नाळणी छावे, जीं दन परमेसर न्याव करी। वीं दन ने लाबा का वाते कोसीस करणी छावे। वीं दन के आताई आकास वादी की लपटाऊँ बळन नास वे जाई अन आकास की चिजाँ वादी की तपतऊँ पिगळ जाई।