18 थें परातना करो के, ओ हारई हियाळा का दनाँ में ने वेवे।
वे लुगायाँ जी गरबवती वेई अन ज्याँके दूद पीता बाळक वेई, वाँका वाते वे दन घणा दुक भरिया वेई।
काँके वाँ दनाँ में अस्यी अबकी टेम आई, जस्यी अबकी टेम परमेसर ईं धरती ने रची हे, वींका पेल्याँऊँ आज तईं ने अई अन ने कदी आई।