9 ईसू पूँछ्यो, “अंगूरा का बाग को मालिक वाँ हिंजारिया का हाते कई केरी? वो आन, ईं हिंजारिया ने मार नाकी अन बाग दूजाँ ने हूँप देई।
तद्याँ वाँ जान आपणाँऊँ ओरी हुगली हात आत्माने आपणाँ हाते ले आवे हे, अन वीं वींमें धसने वटे वास करे हे, अन वीं मनक की पाछली दसा पेल्याऊँ भी हुगली वे जावे हे। ईं जुग का हूँगला मनकाँ की दसा भी अस्यानीस वेई।”
जद्याँ हाँक पाकबा की टेम वी, वाँकाणी आपणाँ थोड़ाक दासा ने वींकी हाँक को हिस्सो लेबा का वाँते हिंजारिया का नके खन्दाया।
“ईं वाँते मूँ थाँकाऊँ केऊँ हूँ के, परमेसर को राज थाँकाऊँ ले लिदो जाई अन अस्या लोगाँ ने दे दिदो जाई, ज्यो वींकी राज का वाते हाक लाई।
तद्याँ राज्यो रीस में आन आपणी सेना खन्दाई वणा हत्यारा ने मारन वाँका नगर में वादी लगा दिदी।
कई, थें सास्तर को ओ बचन ने भण्यो, “‘वो भाटो, जिंने कारीगर कई काम को ने हमज्यो, वोईस नीम को खास भाटो बण्यो।
अस्यान वाँकाणी वींने भी मार नाक्यो अन अंगूरा का बाग का बारणे फेंक दिदो।”
पण, मारा वणा दसमणा ने जी ओ ने छावे हे के, मूँ वाकाँपे राज करूँ, वाँने मारा हामें लावो अन मार नाको।’ ”
पछे यसाया हिम्मत का हाते क्यो हे के, “मूँ वाँने मल्यो जीं मने ने होदरिया हा।” “मूँ वणा वाते परगट व्यो, ज्यो मारी खोज खबर ईं कोयने ही।