काँके हारई आपणाँ रिप्या की बड़ोतरीऊँ नाक्या, पण ईं लुगई आपणी गरीबी हालत में भी ज्यो थोड़ाक रिप्या नके हा, वे हारई दे दिदा। वींका नके अतराक रिप्या हा, ज्यो वींका जीव को आसरो हो।”
मारा केवा को ओ मतलब हे के, वणा मण्डळ्याँ का मनकाँ ने परक्या ग्या हा, तद्याँ भी वीं राजी हा अन वीं गरीब वेता तका भी वीं देबा का मामला में खुला मनऊँ दिदो।