39 अन परातना घर में वे मोटी गादी पे बेटबो छावे हे। वे जीमण में भी हव जगाँ की आस करता रेवे।
तद्याँ ईसू मनकाँ की टोळी अन आपणाँ चेलाऊँ क्यो,
वीं जीमणा में खास-खास जगाँ, अन सबा में खास आसन,
आपणाँ उपदेस में वे क्यो, “मूसा का नेमा ने हिकाबावाळाऊँ हूँस्यार रेणो। वाँने आपणाँ जब्बा पेरन अटने-वटने गूमणो हव लागे हे। अन वीं छावे के, बजार में दूजाँ लोग माने नमस्कार केवे।
वाँ लुगई जिंको धणी सान्त वेग्यो, वाँको धन कोसबो छावे हे। वीं दिकाबा का वाते मोटी परातना करे। वाँ मनकाँ ने घणी मोटी सजा मेली।”