34 जदी ईसू ओ देक्यो के, वो मनक पुरी हमजदारीऊँ जबाव दिदो, तो वणा क्यो, “थूँ परमेसर का राजऊँ घणो छेटी कोयने।” ईंका पछे कुई भी ईसुऊँ कस्योई सवाल पूँछबा की हिम्मत ने किदी।
ईसू वणा लोगाँ की बात ने जाणन वटाऊँ पराग्या अन नरई लोग-बाग वाँका पाच्छे चालबा लागा, अन वाँकाणी वाँ हाराई ने वाँकी मांदकीऊँ हव किदा।
जद्याँ तईं वो मनकाँ को ईमानदारी का हाते न्याव ने करी वो किंकोई नास ने करी, वीं पलई वाड़ा का पतला टिण्डका का जस्यान वाँको वो कन दिवा का धूवा का जस्यान कमजोर वो।
ईसू की या बात हुणन कुई भी एक बात भी ने के सक्यो। वणी दनऊँ कणी वाँकाऊँ कई पूँछबा की हिम्मत ने किदी।
अन ईंका केड़े वणा की ईसुऊँ कई ओरी पूछबा की हिम्मत ने वी।
एक टेम ही, जद्याँ मूँ बना नेमा के जीवतो हो, पण जद्याँ आदेस आया तो पाप जीवग्यो अन मूँ मरग्यो।
काँके मूँ तो नेमा का जस्यान नेमाँ में मरयो ताँके मूँ परमेसर की आत्मा में पाछो जीवू, मूँ मसी का हाते हूळी पे चड़ायो ग्यो हूँ।
थाँकी बोली हरदाण दयाळू अन मिठी वे, ताँके थाँ जाण सको के, हाराई मनकाँ ने कस्यान जवाब देणो हे।