वीं परदेसऊँ एक लुगई अई ज्या कनानी जात की ही अन वाँ कल्ड़ो हाका-भार मेलन केबा लागी, “हो परबू जी! दाऊद का पूत, मारा पे दया कर! मारी बेटी ने हुगली आत्मा घणी सता री हे।”
अस्यो एक भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो कई, जिंने थाँका बड़ाबा ने हतायो? वाँकाणी तो वाँने भी मार नाक्या, ज्याँकाणी नरई दनाँ पेल्याँईं वीं धरमी के आबा की घोसणा कर दिदी ही, जिंने अबे थाँकाणी छळ करन पकड़वा दिदो अन मार दिदो।