27 वो मरिया तका को कोयने, पण जीवता मनकाँ को परमेसर हे। थें घणा डापा में पड़ग्या हो।”
ईसू वाँने क्यो, “थें नेमीई डापा में पड़ग्या, ने तो सास्तर जाणो हो अन ने परमेसर की तागत ने।
‘मूँ अबराम को परमेसर, इसाक को परमेसर अन याकूब को परमेसर हूँ’? मूँ मरिया तका को कोयने, पण जीवता को परमेसर हे।”
परमेसर तो मरिया तका को परमेसर ने हे पण, जीवता को परमेसर हे, काँके वींका हाराई मनक जीं वींका हे, वीं जीवता हे।”
काँके जीवता अन मरिया तका को परबू वेबा का वाते मसी मरियो अन पाछो जीवतो व्यो।
सास्तर बतावे हे के, “में थने घणी जात को बापू बणायो हे।” वीं परमेसर की नजरा में अबराम आपणाँ बापू हे, जणी परमेसर पे विस्वास हे। परमेसर मरिया तका ने जीवन देवे हे अन ज्यो ने हे, वींने हामे लावे हे।
ईं वाते मूँ वीं टेम की पिड़ीऊँ गुस्सा में रियो अन क्यो हो के, ‘अणाको मन हमेस्यान भटक्यो तको रेई, अन ईं मारो गेलो जाणेई कोनी।’