जदी मुक्य याजकाँ अन मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा ओ हुण्यो, तो वींने मारबा को गेलो होदबा लागा। पण वे वाँकाऊँ दरपता हा, काँके हारई मनक वाँका उपदेसाऊँ अचम्बा में पड़ जाता हा।
वी दाण मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन मुक्य याजकाँ वींने पकड़णो छारिया, काँके वीं हमजग्या हा के, वणी माकाँ उपरेईस या केणी की हे। पण, वीं लोग-बागऊँ दरपग्या हा।
अन यद्याँ आपाँ केवाँ के, ‘मनकाँ का आड़ीऊँ हे।’ तो हाराई लोग-बाग आपणे भाटा मारी। काँके वीं हाँची में जाणे हे के, यहुन्नो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो।”