4 जदी वीं वटूँ पराग्या अन गेला का भड़े एक घर की पोळ में गदेड़ी को बच्यो बन्दयो तको देक्यो, तो वाँकाणी वींने खोलबा लागा।
“आपणाँ हामे वाळा गाम में जावो! वटे जाताई थाँने एक गदेड़ी बंदी तकी मेली, अन वाँका नके वींको एक बाछरो बंद्यो तको मली। वींने खोलन मारा नके ले आवो।
ईं वाते चेला ईसू की आग्या मानी अन फसे का तेवार की त्यारी किदी।
अन जदी कुई थाँने पूछे, ‘थें ओ काँ कररिया हो?’ तो थाँकाणी केज्यो, ‘परबू ने ईंकी सावना हे, पाछो परबू ईंने जट खन्दा देई।’”
थोड़ाक मनक, ज्यो वटे ऊबा हा, वणा पूँछ्यो, “थाँ यो कई कररिया हो? ईं गदेड़ी का बच्या ने काँ खोलरिया हो?”
ईसू की माँ नोकर-चाकरऊँ क्यो, “वो ज्यो कई थाँकाऊँ केवे, थाँ वो करज्यो।”
विस्वास करबा की वजेऊँ अबराम ने जद्याँ बलायो ग्यो हो तो वो आग्या मानन अस्यी जगाँ का आड़ी चाल पड़्यो, जिंको वारिस बणबावाळो हो, जद्याँ के, वो जाणतो भी ने हो, तद्याँ भी वो वटे ग्यो हो।