17 पछे वणा उपदेस देता तका क्यो, “परमेसर का बचना में ओ ने लिक्यो हे, ‘मारो घर हारई देसा का मनकाँ का वाते परातना करबा की जगाँ केवाई’ पण, थाँ ईंने ‘चोरा को ठाणो’ बणा दिदो हे।”
अन वणा किंने भी मन्दर का चोक मूँ कसी भी चिजाँ ने लेजाबा ने दिदी।
अन वणाऊँ क्यो, “लिक्यो तको हे के, ‘मारो घर परातना को घर वेई।’ पण, थाँ ईंने ‘चोरा को ठाणो’ बणा दिदो हे।”
ईसू मन्दर का चोक में आया तो वणा ढान्ढा-ढोर, गारा अन परेवड़ा ने बेचबावाळा अन रिप्या-कोड़ी को लेण-देण करबावाळा ने बेट्या तका देक्या।
अन परेवड़ा ने बेचबावाळा ने तापड़ता तका क्यो, “अणाने अटूँ ले जावो। मारा बाप का घर ने वोपार को घर मती बणावो।”