थोड़ाक छेटी वाँने एक अंजीर को हरियो-भरियो रूँकड़ो नजर आयो। तो वीं फळ पाबा की आस में रूँकड़ा के भड़े ग्या, पण वाँने वटे पान्दड़ाइस दिक्या, काँके अंजीर का फळ लागबा की टेम कोयने ही।
ईं वाते वींने हरेक बात में मनकाँ का जस्यानीस बणायो ग्यो हो, जणीऊँ वो परमेसर की सेवा करबा का वाते दया करबावाळो अन विस्वास जोगो मायाजक बणे। ताँके मनकाँ का पापाँ का मापी वाते बली हो सके।