47 जदी वणी हुण्यो ओ नासरत को ईसू हे, तो वणी कल्ड़ी हाका-भार किदी, “हे दाऊद का पूत, मारा पे दया कर।”
अबराम का बेटा, दाऊद का बेटा ईसू मसी की वंसावली को बखाण अस्यान हे,
ईंपे हारई मनक ओ देकन अचम्बा में पड़ग्या अन क्यो, “ओ कई दाऊद की ओलाद मसी हे?”
वीं परदेसऊँ एक लुगई अई ज्या कनानी जात की ही अन वाँ कल्ड़ो हाका-भार मेलन केबा लागी, “हो परबू जी! दाऊद का पूत, मारा पे दया कर! मारी बेटी ने हुगली आत्मा घणी सता री हे।”
अन नासरत नाम का नगर में घर बणान रेवा लागग्यो, अस्यान वो बचन पूरो व्यो, ज्यो नरई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा क्यो हो, “वो नासरी नामऊँ जाण्यो जई।”
अन दो आन्दा, ज्यो गेला का कनारा पे बेटा हाँ, ओ हामळन के, ईसू जारिया हे, तो हाका-भार मेलन केबा लागो, “हो परबू, दाऊद का वस, माकाँ पे दया कर।”
लोग-बागाँ क्यो, “ओ गलील का नासरत नगर को परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो ईसू हे।”
जीं मनक आगे हा अन जीं पाच्छे हा वीं केरिया हा, “दाऊद का वंसज ने होसाना। धन्न हे वाँने जी परबू का नामऊँ आवे हे, हरग में होसाना।”
जद्याँ वो बारणे डेळी में ग्यो, तो दूजी नोकराणी वींने देकन ज्यो वटे हाँ वाँकाऊँ क्यो, “ओ भी तो नासरत का ईसू का हाते हो।”
जद्याँ ईसू वटूऊँ आगे जाबा लागो, तो दो आन्दा वाँका पाच्छे वेग्या अन केबा लागा, “हे दाऊद का पूत, माकाँ पे दया करो।”
“हे, नासरत का ईसू, थूँ मारा नकूँ कई छावे हे? कई, थूँ मारो नास करबा ने आयो हे? मूँ थाँने जाणूँ हूँ के, थूँ कूण हे, थूँ परमेसर को पुवितर मनक हे।”
ईसू नासरत नगर में ग्यो, जटे वाँको लालण-पालण व्यो हो। वो रीत के जस्यान आराम का दन में परातना घर में ग्यो अन धरमसास्तर भणबा का वाते ऊबो व्यो।
नतनएल वणीऊँ क्यो, “कई हव चीज भी नासरतऊँ निकळ सके हे?” फिलिपुस वणीऊँ क्यो, “चालन खुदई देक ले।”
पिलातुस एक दोसपतर लिकन हूळी पे टाँक दिदो अन वींमें ओ लिक्यो हो, “नासरत का ईसू, यहूदियाँ को राजा।”
कुई दूजाँ मनक केरिया हा के, “यो मनक मसी हे।” पण कुई केरिया हा, “मसी गलीलऊँ ने आई।
वणा वींने जवाब दिदो, “कई थूँ भी गलील को हे? सास्तर में देक अन होद के, गलीलऊँ कुई भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो परगट ने वेबावाळो हे।”
माँकाणी ईंने ओ केतो तको हुण्यो के, ओ ईसू नासरी ईं मन्दर ने नास कर देई अन मूसे जो रिति-रिवाज दिदा, वाँने भी बदल देई।”
“मूँ, ईसू थाँका वाते, मण्डळ्याँ का वाते, अणा बाताँ की गवई देबा का वाते मारो हरग-दुत खन्दाऊँ हूँ। मूँ दाऊद के परवार को वंसज हूँ। मूँ हवेर को चमकतो तको तारो हूँ।”