45 काँके मनक को पूत (ईसू) सेवा कराबाने ने आयो, वो तो सेवा करबा आयो हे अन घणा जणा का छूटकारा का वाते आपणो जीव देबाने आयो हे।”
जस्यान के मनक को पूत ईं वाते ने आयो के, वींकी सेवा-चाकरी किदी जावे पण ईं वाते आयो के, नरई ने छुड़ाबा का वाते आपणी जीव देवे।”
अन ज्यो थाँकामें सबाऊँ मुक्यो बणबो छावे, वो हाराई को हाळी बणे।
जस्यान बापू परमेसर मने ओळके हे अन मूँ बापू परमेसर ने ओळकूँ हूँ। अन मूँ गारा के वाते आपणो जीव देवूँ हूँ।
यद्याँ मूँ परबू अन गरू वेन थाँका पगाँ ने धोया तो थाँने भी एक दूजाँ का पगा ने धोणा छावे।
अन जणी कदीई पाप ने किदो वींने परमेसर आपणाँ पापाँ का वाते बली बणायो जणीऊँ आपाँ परमेसर का हामे सई मान्याँ जावाँ।
काँके थाँ आपणाँ परबू ईसू मसी की दया ने तो जाणोइस हो अन थाँ ओ भी जाणो हो के, वीं अमीर वेता तका भी थाँका वाते गरीब बणग्या। जणीऊँ वाँकी गरीबीऊँ थाँ अमीर वे जावो।
ईसू मसी ज्यो आपणाँ वाते हरापित व्यो अन आपाँने वणा मूसा का नेमाऊँ छोड़ाया, काँके सास्तर में लिक्यो हे के, “ज्यो कुई हूळी पे लटकायो जाई वो हरापित वेई।”
वणा आपणाँ वाते खुद ने दे दिदो, ताँके आपाँ हाराई ने पापऊँ छुड़ावे अन आपाँने खुद का वाते खरा मनक बणावे, जीं बेस हव काम करबा का वाते आगता रेवे।
ईसू परमेसर को छोरा हो, तद्याँ भी वो दुक जेलन वींकी आग्या को पालण करणो हिक्यो।
पण थाँने ओ छुटकारो मसी का किमती लुईऊँ, जो निरदोस उन्याँ के जस्यान हे, मल सके हे।