20 वीं मनक ईसू ने क्यो, “हे गरू, मूँ मारा नानपणऊँ आ हारी बाताँ ने मानतो आयो हूँ।”
वणी मोट्यार ईसुऊँ क्यो, “ईं हाराई ने तो मूँ मानतो आयो हूँ, अबे मारा में कणी बात की कमी हे?”
ईसू हुदा वींका आड़ी नाळ्या अन वींने लाड़ऊँ देकन क्यो, “थने एक ओरी काम करणो हे, ज्यो भी थाँरा नके हे, वींने बेचन गरीबा में बाँट दे। हरग में थने खजानो मली, पछे थूँ आ अन मारा पाच्छे वेजा।”
पण, वणी आपणाँ खुद ने धरमी बतावा की मरजी राकते तके ईसुऊँ क्यो, “मारो पड़ोसी कूण हे?”
एक टेम ही, जद्याँ मूँ बना नेमा के जीवतो हो, पण जद्याँ आदेस आया तो पाप जीवग्यो अन मूँ मरग्यो।
ज्योस का वाते यद्याँ केवो तो परबू का विस्वास्याँ ने हताबावाळो हो, अन जद्याँ मूसा का नेमा के जस्यान चालबा का वाते केवो तो खरो मनक हूँ।
वीं धरमीपणा को दिकावो तो करी, पण परमेसर की तागत ने ने मानी। अस्यान हिकबावाळा मनकाँऊँ खुद ने छेटी राक।